पीएम मोदी के दौरों पर जुबान खोलने से पहले ‘विचार’ कर लेते भगवंत मान ‘साहब’, विदेश नीति कॉमेडी का मंच नहीं ये बेहद गंभीर विषय: MEA ने भी दिखाया आईना
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने पीएम मोदी की विदेश यात्राओं पर बेहद शर्मनाक बयान दिया है। ये बयान पीएम मोदी से ज्यादा देश की विदेश नीति पर है इसलिए विदेश मंत्रालय को भी इस पर संज्ञान लेना पड़ा है। विदेश मंत्रालय ने मान की टिप्पणी को गैर जिम्मेदाराना करार देते हुए कड़ी निंदा की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “एक प्रदेश के मुख्यमंत्री का भारत के मित्र देशों के साथ भारत के संबंधों के बारे में की गई टिप्पणियाँ निराशाजनक और गैर जिम्मेदाराना है, ऐसे बयान किसी प्रदेश के मुखिया को शोभा नहीं देती। भारत सरकार ऐसे अनुचित बयानबाजी से खुद को अलग करती है।”
भगवंत मान ने कहा था, “पीएम कहाँ गए हैं? मुझे लगता है कि वह घाना गए हैं। वह वापस आएँगे, उनका स्वागत है। भगवान ही जानें वह किन-किन देशों में जाते रहते हैं, मैग्नेशिया, गैल्विसा, टार्विसिया। 140 करोड़ वाले देश के नेता वहाँ जा रहे हैं जहाँ 10 हजार लोग रहते हैं और वहाँ सर्वोच्च सम्मान पाते हैं। हमारे यहाँ तो 10 हजार लोग जेसीबी देखने इकट्ठा हो जाते हैं।”
भगवंत मान के बयान के बाद विदेश नीति के बारे थोड़ी समझ रखने वाला व्यक्ति भी आश्चर्यचकित रह गया है। क्योंकि अपने बयान से मान ने अपनी ‘समझ’ की पोल खोल दी है। राजनीति में आलोचना विपक्ष करता ही रहता है। लेकिन जब ये टिप्पणी देश की कूटनीति और प्रधानमंत्री के विदेशी यात्राओं से जुड़ी हो, तो ये राजनीति अंदरुनी नहीं आत्मघाती हो जाती है।
पीएम मोदी का दौरा वैश्विक स्थिति, रणनीतिक भागीदार, निवेश की संभावनाओं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी तमाम पहलुओं से जुड़ी होती है। ये भारत के विदेश नीति का चेहरा बनती हैं और इसके दम पर देश की आन बान और शान की रक्षा होती है।
UNSC की स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन
भारत यूएनएससी में स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। पीएम मोदी के दौरे के दौरान सभी 5 देशों ने भारत की दावेदारी का समर्थन किया है। इसका काफी महत्व है। ब्राजील में हुई ब्रिक्स सम्मेलन में भी इस मुद्दे पर भारत को बड़ी सफलता मिली और सदस्य देशों ने यूएनएससी के विस्तार और भारत की दावेदारी का समर्थन किया। इससे पहले क्वार्ड देशों ने भी यूएनएससी विस्तार का समर्थन किया।
पीएम मोदी ने हाल में जिन 5 देशों की यात्राएँ की हैं। उनमें दो दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील, अर्जेंटीना है वहीं तीन अफ्रीकी देश त्रिनिदाद एंड टोबैगो, नामीबिया और घाना है। इन पाँच देशों में से 4 देशों ने पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान से नवाजा।
पीएम मोदी को मिल चुके हैं 27 देशों के सर्वोच्च सम्मान
अफ्रीकन देश घाना में ‘ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ और त्रिनिदाद और टोबैगो में ‘ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ से सम्मानित किया गया, जहाँ उन्होंने उनकी संसद को संबोधित किया। वे 20 से अधिक वर्षों में इन कैरेबियाई राष्ट्र की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। ये छोटे- छोटे देश ग्लोबल साउथ की रीढ़ हैं। भारत लगातार ग्लोबल साउथ के साथ संबंध मजबूत कर रहा है और इंटरनेशनल मंचों पर अपनी भूमिका मजबूत कर रहा है।
पीएम मोदी को अब तक 27 देशों ने सर्वोच्च सम्मान से नवाजा है। सिर्फ 2025 में ही अब तक पीएम मोदी को 7 देशों ने सम्मानित किया। 27 देशों में से 8 मुस्लिम देश हैं।
आर्थिक मोर्चे पर चीन से टक्कर के लिए जरूरी
पाँच देशों की यात्रा का महत्व आर्थिक दृष्टि से भी काफी अहम है। घाना, नामीबिया, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और ब्राज़ील की यात्रा ने दुनिया का ध्यान खींचा। चीन से मुकाबला करने के एक रणनीतिक विकल्प, आतंकवाद के खिलाफ एक ज़िम्मेदार आवाज और ग्लोबल साउथ के एक विकास साझेदार के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत करना था।
दरअसल इन देशों का चीन के साथ कई मुद्दों पर मतभेद है। चीन छोटे देशों को आर्थिक गुलाम बनाना चाहता है जबकि भारत इन्हें अहम साझीदार के दौर पर देखता है। इसलिए चीन को संतुलित करने के अपने प्रयासों में एकजुट हैं और इसलिए वे भारत के साथ काम करना चाहते हैं।
नामीबिया के खनिज में भारत का निवेश
प्रधानमंत्री मोदी की सबसे हालिया यात्रा नामीबिया की थी। वह लगभग 30 वर्षों में वहाँ जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। गौरतलब है कि भारत लाए गए आठ चीते नामीबिया के रेगिस्तान से आए थे। नामीबिया अफ्रीका में एक स्थिर लोकतंत्र है जहाँ प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं। रेयर मिनर्ल्स, खनिज, यूरेनियम, कोबाल्ट, लिथियम और समुद्री हीरे शामिल हैं, और ये सभी भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए खनन उद्योग में भारतीय कंपनियों ने यहाँ पहले ही 80 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। नामीबिया भारत की महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति करने में अहम भूमिका निभा सकता है, जिससे चीन पर भारत की निर्भरता कम होगी।
प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा पिछले 30 साल में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। साझा लोकतांत्रिक सिद्धांत और आतंकवाद की दोनों देशों को चिंता है। अफ्रीका में सोने का सबसे बड़ा उत्पादक देश घाना है जहाँ लिथियम का भी भंडार है। ऐसे में भारत की इलेक्ट्रिक वाहन की जरूरत यहाँ से पूरी हो सकती है। चीन ने हाल ही में इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
यूपीआई, रक्षा सहयोग, एआई में भारत करेगा मदद
भारत के यूपीआई को ये देश अपनाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा भारत ने साइबर सुरक्षा सहायता, प्रशिक्षण और रक्षा सहयोग की दिशा में अहम भागीदार साबित होगा।
प्रधानमंत्री मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा में इतिहास याद आ गई जब गिरमिटिया के रूप भारतीय इस देश का विकास करने गए थे। यही वजह है कि बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय अभी यहाँ रहते हैं।
इस यात्रा से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक संबंधों को मजबूती मिली। त्रिनिदाद कैरेबियाई क्षेत्र में UPI लागू करने वाला पहला देश बन गया।
अर्जेंटीना के ऊर्जा से भारत की जरूरत होगी पूरी
अर्जेंटीना की यात्रा का समय इससे बेहतर नहीं हो सकता था। भारत तकनीकी आत्मनिर्भरता के साथ-साथ सतत ऊर्जा की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव कर रहा है और यह दक्षिण अमेरिकी देश तांबा और लिथियम जैसे जरूरी खनिजों के लिए मशहूर है।
दुनिया में दूसरे सबसे बड़े शेल गैस और चौथे सबसे बड़े शेल तेल भंडारों वाला अर्जेंटीना ऊर्जा के क्षेत्र में भारत का अहम साझीदार बन सकता है।
महत्वपूर्ण खनिज, यूपीआई का इस्तेमाल, रक्षा सहयोग और आतंकवाद विरोध, फार्मास्यूटिकल्स और प्रवासी भारतीयों से संपर्क, प्रधानमंत्री मोदी के दोनों महाद्वीपों के दौरे के प्रमुख विषय रहे। इस दौरान मिले राजकीय सम्मान ने वैश्विक मंच पर भारत को एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में पेश किया।
मान जी बोलें, लेकिन जरा जुबान संभाल के
प्रधानमंत्री मोदी का राजनयिक दौरा निश्चित रूप से देश को हर मोर्च में मजबूत बनाने वाला रहा।
फिर भी, मान की कूटनीतिक नासमझी इसे पहचानने में विफल रही। आम आदमी पार्टी वैसे भी विदेश नीति के मामले में सिफर मानी जाती है। मान ने अपने बयान से इसे सच साबित कर दिया।
अरे भाई…राजनीति करो, लेकिन देश की कूटनीति पर हमला मत करो। तुम जैसे लोग सिर्फ वोट के लिए कुछ भी बोलते हो, लेकिन समझो कि पीएम के दौरे भारत को मजबूत बनाते हैं।
अगली बार मुँह खोलने से पहले विदेश नीति पढ़ लो, समझ लो या फिर चुप ही रहो। ऐसे में पंजाब को संभालो, जहाँ किसान परेशान हैं, नशा फैला है, हर तरफ बर्बादी है। क्योंकि वैश्विक कूटनीति तुम्हारे बस की नहीं।
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