देश की सीमाओं पर बढ़ते खतरों, आतंकवादी गतिविधियों, और अंदरूनी अशांति को देखते हुए, केंद्र सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया कि सेना प्रमुख को संकट की घड़ी में तेजी से निर्णय लेने और कार्यवाही करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। इससे सैन्य संचालन में देरी नहीं होगी और युद्ध स्तर की स्थिति में समय रहते कार्रवाई हो सकेगी।
विशेष शक्तियाँ मिलने का अर्थ है कि सेना प्रमुख अब:
युद्ध की स्थिति में तत्काल सैन्य संसाधनों का आवंटन कर सकते हैं।
सीमा पर तैनात बलों को निर्देश दे सकते हैं।
रणनीतिक हथियारों और टुकड़ियों के उपयोग का आदेश दे सकते हैं।
बिना नौकरशाही प्रक्रिया के त्वरित निर्णय ले सकते हैं।
देश की सीमाओं पर बढ़ते खतरों, आतंकवादी गतिविधियों, और अंदरूनी अशांति को देखते हुए, केंद्र सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम
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