सोनीपत के असदपुर में खनन कंपनी का कारनामा*
एनजीटी की गाइडलाइन समेत सभी नियम-कायदे ठेंगे पर
हमारे देश में नदियों को मां का दर्जा हासिल है। अमावस्या, पूर्णमासी समेत कितने ही ऐसे मौके होते हैं, जब नदियों पर मेले लगते हैं और लाखों-करोड़ों लोग पवित्र स्नान कर पुण्य कमाते हैं। हरियाणा से गुजरने वाली यमुना नदी न सिर्फ प्रदेश के करोड़ों लोगों की प्यास बुझाती है, बल्कि प्रदेश के खेतों में फसल के लहलहाने में भी अपनी भूमिका अदा करती है। हरियाणा व उत्तरप्रदेश के बीच करीब 320 किलोमीटर लंबी पूर्वी सीमा का निर्धारण करते हुए यमुना प्रदेश की सबसे लंबी नदी कहलाती है। लेकिन, माइनिंग कंपनी ने अपने फायदे के लिए यमुना के सीने को ‘चीर’ दिया है। ‘चीरहरण’ करते हुए इसकी मुख्य धारा का ‘प्रवाह’ तक बदल दिया है।
यह खुलासा होता है यमुना वाटर सर्विसिज, सोनीपत सर्कल की रिपोर्ट में। रिपोर्ट के अनुसार, 22 मई को एसई, दो एक्सईएन, एसडीओ की चार सदस्यीय कमिटी ने सोनीपत जिले के असदपुर स्थित माइनिंग साइट का दौरा किया। यहां पर सैंड माइनिंग करने का कार्य प्रदेश सरकार द्वारा मैसर्ज जेलकोवा (Zelkova) बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड को अलॉट किया गया है। मौके पर जेलकोवा की ओर से इतनी वॉयलेशन मिली, कि टीम की आंखें खुली की खुली रह गई। रिपोर्ट के मुताबिक, यहां अवैध सैंड माइनिंग होती मिली, जिसे जेलकोवा कंपनी ही कर रही है। यमुना नदी की ‘चलती धारा’ के बीच हैवी मशीनरी पहुंचाई गई हैं, जिनसे यमुना के अंदर से सैंड व अन्य मिनरल का खनन होता मिला। जबकि, नियमों के अनुसार यमुना की धारा के 500 मीटर के एरिया में माइनिंग पर एनजीटी का प्रतिबंध है।
रिपोर्ट के अनुसार, मौके पर जेलकोवा द्वारा बनाए गए कई अवैध ‘रास्ते’ मिले। यमुना का नेचुरल फ्लो ‘बदला’ हुआ मिला। यह सब अवैध तरीके से यमुना का अधिक से अधिक दोहन करने के लिए किया गया था, ताकि ज्यादा से ज्यादा मिनरल का ‘खनन’ किया जा सके। माइनिंग एरिया के आसपास कहीं पर भी पिलर नहीं मिले, जिससे आशंका जताई जा रही है कि प्रदेश सरकार द्वारा अलॉट एरिया के मुकाबले कहीं अधिक एरिया में अवैध तरीके से खनन किया जा रहा है। जबकि, नियमों के मुताबिक, जो एरिया खनन के लिए ‘अलॉट’ होता है, उसके चारों ओर खनन करने वाली कंपनी द्वारा पिलर लगाए जाते हैं, ताकि माइनिंग साइट की दूर से पहचान हो सके। अपनी रिपोर्ट के साथ मौके से जीपीएस लोकेशन के साथ फोटो व विडियो भी सबूत के तौर पर चीफ इंजीनियर, यमुना वाटर सर्विसिज, सिंचाई विभाग को टीम ने सौंपे हैं।
अवैध तरीके से माइनिंग में जुटी मैसर्ज जेलकोवा (Zelkova) बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड को तुरंत प्रभाव से माइनिंग रोकने के आदेश भी 22 मई को ही एसडीओ, गन्नौर वाटर सर्विसिज की ओर से दे दिए गए। साथ ही एसडीएम, एसएचओ व पलूशन डिपार्टमेंट को लिखित सूचित कर दिया। लेकिन, इसके बावजूद यमुना नदी का ‘चीरहरण’ बदस्तूर जारी है।
माइनिंग बंद करने का फरमान, लेकिन रातभर चलता ‘खेल’
जैसे ही अवैध तरीके से हो रही माइनिंग को बंद करने का फरमान सुनाया गया, उसके बाद भी जेलकोवा कंपनी ने माइनिंग को बंद नहीं किया। असदपुर-नांदनौर में यमुना नदी में रात भर हैवी मशीनरी चलती रही, बाकायदा सैंकड़ों डंपरों का आना-जाना भी ग्रामीण रास्तों से जारी रहा। बताया जा रहा है कि ‘ऊपरी’ आशीर्वाद के कारण जेलकोवा कंपनी यमुना में अपने ऑपरेशन को जारी रखे हुए है और आने वाले दिनों में खनन बंद करने के आदेश को ‘अवैध’ ठहराने की कोशिश शुरू कर चुकी है।
इंफोर्समेंट थाने ने एफआईआर से किया इंकार
हरियाणा पुलिस के जिला सोनीपत इंफोर्समेंट पुलिस थाना को कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मैसर्ज जेलकोवा (Zelkova) बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा गया। लेकिन, पुलिस थाने ने एफआईआर करना तो दूर, शिकायत तक लेने से इंकार कर दिया। इससे पता चलता है कि अवैध माइनिंग में जुटी कंपनी की पहुंच काफी ‘ऊपर’ तक है। जबकि, अवैध माइनिंग के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करना इस पुलिस थाने की ही जिम्मेदारी है। वहीं, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट की प्रति डीसी सोनीपत, पुलिस कमिश्नर सोनीपत, असिस्टेंट माइनिंग इंजीनियर खनन विभाग सोनीपत, रीजनल ऑफिसर स्टेट पलूशन कंट्रोल बोर्ड, सोनीपत को भी भेज दी हैं।
यमुना में ‘बहते’ मिले तमाम एक्ट
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, टीम को असदपुर माइनिंग साइट पर सभी प्रमुख एक्ट की धज्जियां उड़ती हुई मिली। कहा जा सकता है कि मैसर्ज जेलकोवा (Zelkova) बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड ने सैंड माइनिंग व यमुना में खनन को लेकर बनाए सभी नियम-कायदों को यमुना नदी की धार में ही ‘बहा’ दिया है। यहां पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, सैंड माइनिंग गाइडलाइंस, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की गाइडलाइंस, खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम की धज्जियां उड़ती हुई टीम को मिलीं।
यमुना का सीना ‘चीर’ मोड़ी नदी की ‘धार’
0 Comments