हरियाणा के 5 बार मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला की रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा 31 दिसंबर को होगी। सिरसा के चौधरी देवीलाल स्टेडियम में यह सभा सुबह 11 बजे शुरू होगी।
इसके अलावा उनकी 2 किताबें भी जल्द प्रकाशित हो सकती हैं। इनमें एक उनकी आत्मकथा और दूसरी 'मेरी विदेश यात्रा' होगी। ये किताबें लगभग तैयार हैं। परिवार के मुताबिक चौटाला हर रोज डायरी लिखते थे। उर्दू में लिखी उनकी इन डायरियों का हिंदी में अनुवाद कराया जा चुका है। इसी से उनकी आत्मकथा प्रकाशित होगी।
वहीं चौटाला ने 119 देशों की यात्रा की थी। इनमें अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, डेनमार्क, हंगरी, पोलैंड, यूनान, ऑस्ट्रिया, नेपाल, कुवैत, दुबई, स्कॉटलैंड आदि शामिल हैं। इन्हीं में उनके अनुभव को उनकी दूसरी किताब में होंगे।
इससे पहले कल (21 दिसंबर) शनिवार को ओपी चौटाला का सिरसा के तेजा खेड़ा गांव स्थित फार्म हाउस में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। चौटाला के दोनों बेटों अजय चौटाला और अभय चौटाला ने उन्हें मुखाग्नि दी।
उनके 4 पोतों दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय चौटाला, कर्ण और अर्जुन चौटाला ने अंतिम रस्में निभाईं। इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, सीएम नायब सैनी, पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने चौटाला को श्रद्धांजलि दी।
ओपी चौटाला का शुक्रवार (20 दिसंबर) को दिल का दौरा पड़ने के बाद 89 साल की उम्र में गुरुग्राम में निधन हो गया था।
ओपी चौटाला की पार्थिव देह शनिवार को अंतिम दर्शन के लिए तेजा खेड़ा स्थित फार्म हाउस में रखी गई। इस दौरान उनकी पार्थिव देह तिरंगे में लपेटी गई। इसके अलावा उनके सिर पर हरे रंग की तुर्रा पगड़ी और चश्मा पहनाया गया। हरी तुर्रा पगड़ी इनेलो की पहचान और चश्मा चुनाव चिन्ह है। सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक समर्थकों ने उनके अंतिम दर्शन किए। ओपी चौटाला के अंतिम संस्कार के लिए फार्म हाउस में ही समाधि स्थल बनाया गया, जिसे 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। इनमें 8 क्विंटल गेंदा और 2–2 क्विंटल गुलाब व गुलदाउदी के फूल थे। ये फूल कोलकाता से मंगाए गए थे। इसके अलावा चिता के लिए लाल चंदन की लकड़ियां मंगाई गई थीं। ओपी चौटाला की पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के बाद समाधि स्थल के लिए ले जाया गया तो सबसे आगे उनके दोनों बेटों अजय चौटाला और अभय चौटाला ने अर्थी को कंधा दिया। इसके बाद उनके पोतों दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय चौटाला, कर्ण चौटाला, अर्जुन चौटाला के अलावा भाई रणजीत चौटाला और भतीजे आदित्य चौटाला अंतिम यात्रा में अर्थी के साथ रहे।
ओपी चौटाला की पार्थिव देह को समाधि स्थल की तरफ ले जाया गया तो समर्थकों की भारी भीड़ उनके साथ रही। इस दौरान करीब 200 मीटर के रास्ते भर में समर्थक उनकी पार्थिव देह पर फूल बरसाते रहे। उन्होंने ‘ओपी चौटाला–अमर रहें’ के नारे लगाए। ओपी चौटाला के अंतिम संस्कार के मौके पर पूरा चौटाला परिवार एकजुट दिखा। ओपी के बेटे अजय और अभय के साथ पूर्व CM के पूर्व मंत्री भाई रणजीत चौटाला भी मौजूद रहे। वह श्रद्धांजलि देने आए लोगों का आभार व्यक्त करते रहे। राजनीतिक तौर पर अभय इनेलो के प्रधान महासचिव हैं।
अजय और उनके बेटों दुष्यंत–दिग्विजय को ओपी चौटाला के इनेलो से निकालने के बाद उन्होंने JJP बना ली। वहीं, रणजीत लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा में गए थे, लेकिन अब निर्दलीय राजनीति कर रहे हैं।
इनके अलावा चौटाला फैमिली की बहुएं भी एक साथ बैठी दिखीं। इनमें हिसार से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली नैना चौटाला और सुनैना चौटाला भी शामिल थीं।पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की 5 संतानों में सबसे बड़े थे। उनका जन्म 1 जनवरी, 1935 को हुआ। वह 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।
ओपी चौटाला की रस्म पगड़ी देवीलाल स्टेडियम में:पूर्व CM पर जल्द 2 किताबें आएंगी; एक आत्मकथा, दूसरी 119 देशों की यात्रा पर होगी
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