दो साल का सफल कार्यकाल संभालने वाले डीसी की छबि धूमिल करने के पीछे आखिर कौन है एक्टिव
हरियाणा में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) तमाम विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को रिश्वत लेते गिरफ्तार करती आ रही है, लेकिन एजेंसी की तरफ से अभी तक सीधी संलिप्तता पाए बिना उसके सीनियर अधिकारी की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिहं नहीं लगाया गया है। लेकिन सोनीपत में डीसी के पीए शंशाक के रिश्वत लेने के मामले में कुछ अलग ही हवाएं दी जा रही हैं।
रिश्वत लेते पकड़ा तो पीए गया है, मगर उंगली उपायुक्त की तरफ घुमाने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में वकील की एंट्री होना और उसके द्वारा सीधे-सीधे उपायुक्त मनोज यादव का नाम घसीटना चर्चाओं का विषय बन चुका है।
आईएएस मनोज यादव का सोनीपत डीसी का दो वर्ष का बड़ा कार्यकाल तो रहा ही है साथ ही उनका यह सफल कार्यकाल भी रहा, जिसमें उनके ऊपर कभी आरोप नहीं लगे। लेकिन उनके हटने के तुरंत बाद अधिकारियों का एक गुट सक्रिय होकर पीए रिश्वत कांड को हवा देने में लग गया।
हालांकि वर्ष 2019 से लेकर 2025 तक पीए के एकाउंट में 70 लाख रुपए का लेनदेन दिखाया गया है, इन पांच वर्षों के 60 महीनों में इतना पैसा तो सैलरी का भी एकाउंट में आ गया होगा।
उसके बाद पीए शशांक की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी आर्थिक रूप से मजबूत बतायी जा रही है। ऐसे में चार पांच लाख रुपए के सामान की बरामदगी कोई बड़ी बात नहीं है।
खैर पीए ने जो किया वह उसका कर्म है, लेकिन जिस अधिकारी ने निष्पक्षता के साथ सोनीपत में बतौर उपायुक्त काम करते हुए जनहित में तमाम फैसले लिए उनकी तरफ जांच की मांग की उंगली उठाने की साजिश रच कौन रहा है। यह सोचने वाली बात है।
अधिकारी गलियारों में चर्चा तो यह हो रही है कि मनोज यादव की छवि धूमिल करने के पीछ आईएएस लाबी के ही कुछ अधिकारी हैं, जिन्हें मनोज यादव की कार्य कुशलता हजम नहीं हो रही है।
हांलाकि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) इन बातों पर सीरियस नहीं है, लेकिन एक वकील महोदय के बार-बार उपायुक्त को जांच के दायरे में लाने के जो नारे लगाए जा रहे हैं, वह किसी के गले नहीं उतर रहे हैं।
चर्चित सोनीपत डीसी के पीए रिश्वतकांड में शुरू हो चुकी है राजनीति
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