गुलाबी सुंडी से बचाव को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
Karni KHaryana :- केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन सिरसा द्वारा गुलाबी सुंडी के गैर ऋतु में जीवित रहने के स्रोतों और फसल के दौरान इसके प्रबंधन के लिए अबोहर (पंजाब) में जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जिला के लगभग 80 एग्रो इनपुट डीलर्स (कृषि आदान विक्रेता), कपास तथा तेल मीलों के मालिकों व अन्य ने भाग लिया।
प्रधान वैज्ञानिक (कीट विज्ञान) व अध्यक्ष डा. ऋषि कुमार ने गुलाबी सुंडी के जीवन चक्र व गैर ऋतु में जीवित रहने के स्त्रोतों जैसे-खेत में पड़े लकड़ियों के ढेर को 2-3 बार झाड़ना, लकड़ियों को खेत से दूर गांव में लंवत भंडारण और निकले कचरे को नष्ट करने के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने सभी डीलर्स से आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक किसानों को गुलाबी सुंडी प्रबंधन तकनीकों के बारे में जागरूक करें ताकि कपास की फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप को कम किया जा सकें
कार्यशाला में इंडियन कॉटन एसोसिएशन के प्रतिनिधि के तौर पर राकेश राठी ने भाग लिया। डा. देवाशीष पॉल ने देशी कपास उत्पादन तथा सतपाल सिंह ने गुलाबी सुंडी के प्रकोप की पहचान व फेरोमोन ट्रेप लगाने के बारे में जानकारी दी।
इसके अलावा गांव संगर सरिश्ता में भी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया और इसमें लगभग 100 किसानों व अन्य प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रधान वैज्ञानिक डा. सतीश सैन ने गुलाबी सुंडी के जीवन चक्र व गैर ऋतु में जीवित रहने के स्रोतों और प्रबंधन के साथ-साथ रस चूसक कीटों के नुकसान की पहचान व प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। डा. सैन, ने कपास की फसल में लगने वाले रोगों की पहचान व उनके प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही सतपाल सिंह ने गुलाबी सुंडी के प्रकोप की पहचान व निगरानी के खेत में फेरोमोन ट्रेप लगाने के बारे में जानकारी दी।
गुलाबी सुंडी से बचाव को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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