पुलिस ने 7 लोगों को दबोचा।
हरियाणा में 12600 जोड़ों ने बीपीएल कार्ड बनवाने के लिए फर्जी तलाक के कागजात दिखाए। परिवार पहचान पत्र में आय कम दिखाने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई। पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस फर्जीवाड़े से सरकारी खजाने को करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है क्योंकि कई परिवारों ने फर्जी तरीके से बीपीएल कार्ड बनवाकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया।
गरीबों के लाभ लेने के लिए 12 हजार 600 दंपतियों ने दिखाया फर्जी तलाक।
फर्जी तलाक दिखाकर लाभ लेने के सबसे ज्यादा मामले झज्जर, रोहतक और सिरसा में।
बीपीएल कार्ड बनवाने के लिए फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद पुलिस ने सात आरोपितों को गिरफ्तार किया।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़:- हरियाणा में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) कार्ड बनवाकर विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए 12 हजार 600 दंपतियों ने कागजों में फर्जी तरीके से तलाक दिखा दिया। परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) में एक लाख 80 हजार रुपये से कम वार्षिक आय दिखाने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी कर तलाक के फर्जी दस्तावेज लगा दिए गए। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
इन जिलों से आए सबसे ज्यादा मामले।
फर्जी तलाक दिखाकर लाभ लेने के सबसे ज्यादा मामले झज्जर, रोहतक और सिरसा में सामने आए हैं। पुलिस जांच में पता चला है कि गिरोह का नेटवर्क नूंह सहित अन्य जिलों में भी फैला हुआ है।
मामले में झज्जर साइबर थाना पुलिस ने नागरिक संसाधन सूचना विभाग (क्रिड) के जिला प्रबंधक योगेश कुमार के अलावा झज्जर में सर्विस प्रोवाइडर अमित कुमार, सिकंदर, विकास और गीता रानी तथा नूंह निवासी नीरज कुमार और मोहम्मद सैफ समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
सभी पर जिला कोड के साथ छेड़छाड़ करने और फर्जी पीपीपी दस्तावेज बनाने के लिए परिवार पहचान रिकार्ड में हेराफेरी करने का आरोप है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
अभी तक की जांच के अनुसार परिवारों की आय को गलत तरीके से कम करके उन्हें विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का पात्र बनाने के लिए यह हेराफेरी की गई। दंपतियों ने कामन सर्विस सेंटर के माध्यम से आनलाइन सिस्टम में तलाक के दस्तावेजों के रूप में खाली कागजात जमा किए।
क्रिड के जिला प्रबंधक ने इन्हें वैध तलाक के दस्तावेजों के रूप में प्रमाणित किया। इस प्रकार दो अलग-अलग पारिवारिक पहचान पत्र बनाए गए, जिससे दंपती की आय 1.80 लाख रुपये वार्षिक से कम हो गई और वे बीपीएल बन्ने में कामयाब हो गए।
सरकार को 100 करोड़ रुपये का लगा फटका।
इस फर्जीवाड़े से सरकारी खजाने को 100 करोड़ रुपय के नुकसान का अनुमान है। लाभार्थियों ने बीपीएल योजनाओं के तहत कई विभागों से लाभ उठाया। आरोपितों ने धोखाधड़ी करने और परिवारों को बीपीएल का दर्जा दिलाने के लिए मोटी फीस वसूली।
सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी बीपीएल श्रेणी में आती है। ऐसा जाहिर तौर पर ऐसा बड़ी संख्या में परिवारों द्वारा अपनी आय कम बताने के कारण हुआ है।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के आधार-सक्षम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि राज्य में 2.80 करोड़ की आबादी में से एक करोड़ 97 लाख 20 हजार 71 लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहें हैं।
इन सुविधाओं के फर्जीवाड़ा।
बीपीएल लाभार्थियों को सरकार की ओर से प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज (गेहूं या बाजरा) मुफ्त, 40 रुपये में दो लीटर सरसों का तेल और 13.5 रुपये के हिसाब से एक किलो चीनी मिलती है।
इस के अलावा बीपीएल परिवारों को 100 वर्ग गज के प्लाट दिए जा रहे हैं। श्रम विभाग और समाज कल्याण विभाग के तहत विभिन्न योजनाएं भी बीपीएल परिवारों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
सरकारी लाभ लेने के लिए गजब का फर्जीवाड़ा: 12 हजार 600 दंपतियों ने दिखाया फर्जी तलाक
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