कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी पर सिद्धारामईया को बदलने कि जिम्मेदारी?
जिला कैथल हरियाणा के बीच में स्थित है। कैथल विधानसभा क्षेत्र है और कुरुक्षेत्र लोकसभा में आता है। कैथल से वर्तमान में आदित्य सुरजेवाला विधायक हैं जो पूर्व मंत्री शमशेर सुरजेवाला के पोते व रणदीप सुरजेवाला के बेटे हैं। आदित्य सुरजेवाला ने 2024 विधानसभा चुनाव में भाजपा के लीला राम गुज्जर को हराया था। सुरजेवाला परिवार की ये राजनीति में तीसरी पीढ़ी है। रणदीप सुरजेवाला गाँधी परिवार के नजदीकी माने जाते हैं। कांग्रेस के महासचिव व कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी हैं। सुरजेवाला इन दिनों कर्नाटक में है जहां कांग्रेस सरकार में खींचतान चल रही है। विपक्ष रणदीप सुरजेवाला को सुपर सीएम कह रहा है। वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमईया की कुर्सी भी खतरे में दिख रही है। कर्नाटक में सिद्धारमईया की जगह कोई नया मुख्यमंत्री बनाये जाने की चर्चाएं चल रही हैं।
आखिर कर्नाटक संकट के लिए कांग्रेस ने सुरजेवाला को क्यों चुना?
कांग्रेस में रणदीप सुरजेवाला से वरिष्ठ कई नेता हैं लेकिन गाँधी परिवार के सबसे वफादारों में से एक हैं रणदीप सुरजेवाला। सुरजेवाला कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुके हैं। सुरजेवाला राहुल गाँधी के विश्वासपात्र माने जाते हैं। इसलिए उन्हें कांग्रेस ने कर्नाटक में बड़ी जिम्मेदारी देकर भेजा गया है।
रणदीप सुरजेवाला की राजनीतिक पकड़
रणदीप 2005 से 2014 तक हुड्डा सरकार में मंत्री रहे हैं। अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान जहां उन्होंने गाँधी परिवार के प्रति अपनी निष्ठा मजबूत की वहीं हरियाणा में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई। हालांकि 2014 में वो कैथल से विधानसभा चुनाव तो जीत गए थे लेकिन कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी। 2019 में रणदीप सुरजेवाला को हार का स्वाद चखना पड़ा था। उन्हें भाजपा के लीला राम गुज्जर ने 1200 वोटों से हराया था।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कुछ नेताओं पर हुई भ्र्ष्टाचार के मामलों में कार्रवाई, सुरजेवाला बचे ।
कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के दो बड़े कारण थे। एक था पर्ची -खर्ची से नौकरी देना और दूसरा विकास एवं सरकारी कार्यलयों में भ्र्ष्टाचार। सुरजेवाला सरकारी नौकरियों में धांधली व भ्र्ष्टाचार को लेकर भाजपा सरकार पर आरोप लगाते रहते हैं।
वहीं भाजपा सरकार सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता व भ्र्ष्टाचार को लेकर जीरो टोलरेंस का दावा ठोकती है। भाजपा सरकार ने अभी तक पूर्व के किसी भी मंत्री के विरुद्ध भ्र्ष्टाचार को लेकर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है। न ही पर्ची -खर्ची से नौकरी देने के मामले में कोई मुकदमा या गिरफ्तारी हुई है।
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मानेसर लैंडडील सहित कई मामलों में आरोपी हैं। एक समाचार के अनुसार अगस्त 2024 में प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी 834 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त की है। वहीं रणदीप सुरजेवाला पर आजतक भ्र्ष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। बेदाग छवि के कारण उनकी राजनीतिक हैसियत बढ़ जाती है।
पर्ची - खर्ची व भ्र्ष्टाचार को लेकर भाजपा को घेरते हैं सुरजेवाला।
भाजपा सरकार योग्यता पर नौकरी, भ्र्ष्टाचार को खत्म करने के मुद्दे पर तीसरी बार सत्ता में है। लेकिन पूर्व की सरकार में युवाओं से हुए छल व प्रदेश की जनता से को गई लूट के आरोपियों को अभी तक जेल में नहीं डाल पाई है।
यही कारण है कि सुरजेवाला नायब सैनी सरकार पर आरोप लगाते रहते हैं कि सरकार भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई नहीं कर रही। नौकरियोंको लेकर भी वो भाजपा सरकार को कोसते रहते हैं।
कांग्रेस सरकार में नौकरियों में धांधली को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला व उनके बेटे अजय चौटाला को जेल हुई थी। इसको लेकर कांग्रेस नेता अपनी वाहवाही करते रहते हैं।
लेकिन भाजपा सरकार में अभी तक नौकरियों में धांधली को लेकर किसी भी आरोपी मंत्री नेता के विरुद्ध कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की है। इससे ये साबित होता है कि भ्र्ष्टाचार के खिलाफ अभी सरकार का रुख नर्म है।
क्या सरकार को 2029 में इस नरमाई कि गरमाई झेलनी पड़ सकती है? वहीं सुरजेवाला सत्ता पक्ष को भ्र्ष्टाचार व पर्ची - खर्ची के दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर करते रहेंगे।
गाँधी परिवार के वफादार, बेदाग छवि और भाजपा के कट्टर विरोधी हैं रणदीप सुरजेवाला
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