"अगर ट्रंप इसी राह पर चले तो... अमेरिका के टैरिफ़ से भारत और चीन के रिश्तों में नई करवट!"
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ़ के फैसले ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक और रणनीतिक रिश्तों को झकझोर कर रख दिया है।
भारतीय निर्यात संगठन (FIEO) ने इस फैसले को "बेहद चौंकाने वाला" बताया है। संगठन का कहना है कि इससे अमेरिका को होने वाले भारत के कुल निर्यात का आधे से अधिक हिस्सा प्रभावित होगा।
दिल्ली के थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का अनुमान है कि अमेरिका को भारत का निर्यात 40 से 50% तक गिर सकता है।
GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा!
"भारत को संयम बरतना चाहिए। जब धमकी और अविश्वास का माहौल हो, तो कोई सार्थक बातचीत संभव नहीं होती।"
ट्रंप की नाराज़गी और रणनीति...
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की नाराज़गी सिर्फ भारत के रूसी तेल खरीदने से नहीं है, बल्कि इस बात से भी है कि यूक्रेन युद्ध को अब तक रोका नहीं जा सका।
चुनाव से पहले ट्रंप ने दावा किया था कि वे 24 घंटे में रूस-यूक्रेन युद्ध रोक देंगे। लेकिन सात महीने बीतने के बाद भी वह दावा हकीकत नहीं बन पाया। ऐसे में भारत उनके लिए एक आसान टारगेट बन गया है।
क्या भारत अब चीन के क़रीब जाएगा?
बीजिंग स्थित राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर हुआंग हुआ का मानना है कि "ट्रंप की विदेश नीति भारत के मामले में गलत दिशा में जा रही है। इससे भारत को तो नुकसान होगा, लेकिन अमेरिका को कहीं अधिक रणनीतिक नुकसान उठाना पड़ेगा।"
हुआंग का यह भी कहना है कि आने वाले समय में भारत और चीन अमेरिकी दबाव के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं।
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (SCO) के आगामी सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मंच साझा करने की संभावना को भी बड़ा संदेश माना जा रहा है।
यह संदेश साफ़ है - भारत को दबाव डालकर झुकाया नहीं जा सकता।
बड़ी रिपोर्ट: अमेरिका के टैरिफ़ का भारत पर असर: क्या चीन के क़रीब जा रहा है भारत?
0 Comments