यह बिल बुधवार को संसद में पेश किया जाएगा।
बिल का उद्देश्य BCCI सहित सभी खेल संगठनों के भीतर चुनाव प्रक्रिया को समयबद्ध बनाना, प्रशासनिक जवाबदेही तय करना, और खिलाड़ियों की सुरक्षा व भलाई सुनिश्चित करना है.
BCCI एक स्वायत्त संस्था है और सरकार से किसी प्रकार का वित्तीय अनुदान नहीं लेती. अब तक यही कारण रहा कि वह सरकारी कानूनों से बाहर रही है. हालांकि, क्रिकेट भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है और इसके संचालन में पारदर्शिता की कमी तथा आंतरिक खींचतान लंबे समय से चिंता का विषय रही है.
पूर्व सेक्रेटरी की राय: "बिल की जरूरत नहीं"
BCCI के पूर्व सचिवों और अधिकारियों ने इस कदम पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि बोर्ड पहले से ही एक सफल और स्वतंत्र इकाई है, और इस पर अतिरिक्त नियंत्रण की जरूरत नहीं है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकारी हस्तक्षेप बहुत बढ़ गया तो इससे ट्रेनिंग, चयन और टीम के प्रबंधन पर असर पड़ सकता है. हालांकि, अगर बिल का उद्देश्य सिर्फ प्रशासनिक सुधार तक सीमित रहेगा, तो इसका खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर असर सीमित ही रहेगा
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अब नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल के दायरे में आएगा।
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