दिल्ली की अदालत ने फैसले में एक विवाहित पुरुष से किसी भी तरह का संपर्क बनाने से एक महिला को रोक दिया है। महिला और उसके पति को शिकायतकर्ता के ठिकाने के 300 मीटर के दायरे में कहीं भी प्रवेश न करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली के रोहिणी कोर्ट ने एक अनोखे मामले में एक महिला को शादीशुदा पुरुष से दूर रहने का आदेश दिया है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि महिला उसे यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर कर रही थी। कोर्ट ने महिला और उसके पति को शिकायतकर्ता के घर से 300 मीटर के दायरे में प्रवेश करने से रोक दिया है।
अपनी तरह के संभवतया: पहले मामले की सुनवाई करते हुए रोहिणी कोर्ट ने अनूठा निर्णय दिया है। अपने फैसले में कोर्ट ने एक विवाहित पुरुष से किसी भी तरह का संपर्क बनाने से एक महिला को रोक दिया है। महिला और उसके पति को शिकायतकर्ता (विवाहित व्यक्ति) के ठिकाने (संपत्ति) के 300 मीटर के दायरे में कहीं भी प्रवेश न करने का निर्देश दिया है।
आरोप- यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर कर रही थी महिला
शिकायतकर्ता ने कोर्ट में शिकायत की थी कि महिला उसे यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर कर रही है। रोहिणी जिला कोर्ट की सिविल जज रेणु ने सीपीसी (सिविल प्रक्रिया संहिता) के तहत दायर शिकायत की सुनवाई करते हुए गत 25 जुलाई को यह आदेश दिया।
याचिका में शिकायतकर्तां ने महिला और उसके पति को अपनी संपत्ति में प्रवेश करने व कोई बाधा या उपद्रव पैदा करने से रोकने के लिए अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग की थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी महिला उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर कर रही थी।
उसने यह भी बताया कि एक आध्यात्मिक आश्रम में वर्ष 2019 में उनकी मुलाकात के बाद महिला ने प्रेम संबंध का प्रस्ताव रखा, जब उसने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया तो उसने कथित तौर पर आत्महत्या की धमकियां दीं और उसे भावनात्मक और शारीरिक रूप से मजबूर करना शुरू कर दिया।
महिला की इन हरकतों से तंग आ गया था शख्स
शिकायतकर्ता के अनुसार, महिला लगातार उसके घर आती रही, सार्वजनिक रूप से अशांति फैलाती रही और उसके परिवार से संपर्क करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती रही। सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उसे ब्लाक कर दिया। बार-बार संपर्क तोड़ने की कोशिशों के बावजूद महिला की ओर से कथित तौर पर उत्पीड़न जारी रहा।
महिला के व्यवहार की वजह से कई बार पुलिस को भी बुलाया गया। शिकायतकर्ता ने चैट स्क्रीनशॉट और सीसीटीवी फुटेज आदि कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए। कोर्ट ने कहा कि दस्तावेज व दलील देखने के बाद स्पष्ट है कि मामला वास्तविक है।
वादी को उसकी इच्छा के विरुद्ध प्रतिवादियों के संपर्क में रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि वादी का कहना है कि प्रतिवादियों के कृत्यों और हरकतों के कारण, शिकायतकर्ता शांतिपूर्वक और स्वतंत्र रूप से अपना जीवन जीने में असमर्थ है।
कोर्ट ने एक अंतरिम निषेधाज्ञा पारित की है जिसमें प्रतिवादी (महिला और उसके पति) को दिल्ली के विजय नगर में शिकायतकर्ता की संपत्ति के 300 मीटर के दायरे में प्रवेश करने या आने से रोक दिया गया है। उन्हें शिकायकर्ता या उसके परिवार से किसी भी माध्यम से- चाहे वह फोन कॉल हो, सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क करने से भी रोक दिया गया है। शिकायतकर्ता की ओर से त्रिपक्षा लिटिगेशन की अधिवक्ता दिव्या त्रिपाठी कोर्ट में पैरवी की।
दिल्ली कोर्ट का अनूठा फैसला, महिला को दिया शादीशुदा व्यक्ति से 'दूर' रहने का आदेश
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