जयपुर, 31 जुलाई 2025 – राजस्थान का इतिहास बदलने वाला है। विज्ञान, आधुनिक तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के अद्भुत समन्वय से पहली बार ड्रोन तकनीक के माध्यम से कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) का प्रयोग होने जा रहा है। जलसंकट से जूझ रहे प्रदेश के लिए यह प्रयोग एक क्रांतिकारी पहल साबित हो सकता है।
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन जयपुर जिले के जमवारामगढ़ क्षेत्र स्थित रामगढ़ बांध (Ramgarh Dam) में किया जाएगा। 31 जुलाई को दोपहर 3 बजे यंत्रों का प्रक्षेपण (Drone Launch) कर प्रयोग की शुरुआत होगी। इस मौके पर कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीना और वरिष्ठ वैज्ञानिक टीमें मौजूद रहेंगी।
क्यों खास है यह कृत्रिम वर्षा का प्रयोग?
यह देश में पहली बार ड्रोन तकनीक द्वारा क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) का प्रयास होगा।
पिछले दो दशकों से जलविहीन रामगढ़ बांध को पुनर्जीवित करने की दिशा में यह पहला बड़ा प्रयास है।
यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो जलसंकट से ग्रस्त राजस्थान के लिए स्थायी जलापूर्ति समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा।
कैसे होगी कृत्रिम वर्षा?
ताइवान से मंगाए गए हाई-टेक AI-सक्षम ड्रोन बादलों में सोडियम क्लोराइड और अन्य सीडिंग एजेंट का छिड़काव करेंगे।
NASA सैटेलाइट और IMD रडार के माध्यम से बादलों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाएगी।
इस प्रयोग के तहत 10 किलोमीटर के दायरे में बारिश करवाई जाएगी।
ट्रायल चरण में 15 दिनों में 60 क्लाउड सीडिंग सत्र पूरे करने की योजना है।
कौन कर रहा है यह ऑपरेशन?
यह परियोजना जल संसाधन विभाग, भारतीय मौसम विभाग (IMD) और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक टीमों के सहयोग से हो रही है।
DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने ड्रोन उड़ान के लिए अनुमति दे दी है।
संचालन की जिम्मेदारी अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई विशेषज्ञों के पास है।
राजस्थान के जल संकट के लिए उम्मीद की किरण
रामगढ़ बांध जयपुर शहर का प्रमुख जलाशय है, जो पिछले 20 वर्षों से पूरी तरह सूखा पड़ा है। अगर कृत्रिम वर्षा का यह प्रयोग सफल हो जाता है तो भविष्य में राजस्थान के अन्य सूखा प्रभावित इलाकों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। यह राज्य की पेयजल और सिंचाई संबंधी समस्याओं के लिए दीर्घकालिक समाधान साबित हो सकता है।
आप भी बन सकते हैं इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी
31 जुलाई को दोपहर 3 बजे जब ड्रोन तकनीक से यंत्रों का प्रक्षेपण होगा, उस समय यह पल राजस्थान के जल इतिहास में दर्ज हो जाएगा। आमजन भी इस वैज्ञानिक उपलब्धि को रामगढ़ बांध क्षेत्र से देख सकते हैं, हालांकि प्रशासन द्वारा सुरक्षा कारणों से प्रवेश को नियंत्रित किया जाएगा।
राजस्थान में पहली बार ड्रोन तकनीक से होगी कृत्रिम वर्षा, 31 जुलाई को रामगढ़ बांध बनेगा ऐतिहासिक प्रयोग का गवाह
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