हरियाणा के किसान, जो पीएम कुसुम योजना के तहत सब्सिडी पर सोलर वाटर पंप लगवाना चाहते हैं, उन्हें अब सावधान रहने की जरूरत है। इस योजना के नाम पर अब कंपनियों और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) संचालकों के बीच कमीशन का खेल खुलकर सामने आ रहा है।
क्या है मामला?
राज्य सरकार की तरफ से किसानों को सौर ऊर्जा आधारित पंप लगाने पर 75% तक की सब्सिडी दी जा रही है। लेकिन कंपनियों द्वारा सीएससी केंद्रों के ज़रिए किसानों से 10,000 से 20,000 रुपये तक की अतिरिक्त वसूली की जा रही है, जिसे कमीशन बताया जा रहा है।
कई किसानों ने शिकायत की है कि आवेदन करते समय उनसे यह पैसा सीधा सीएससी संचालकों ने लिया, जो कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिलकर काम कर रहे हैं।
योजना का उद्देश्य क्या है?
प्रधानमंत्री कुसुम योजना (KUSUM Scheme) का मकसद है कि किसानों को:
सब्सिडी पर सोलर पंप उपलब्ध कराया जाए
बिजली बिल से राहत मिले
डीजल पंपों की निर्भरता कम हो
सिंचाई में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिले
इस योजना में 75% सब्सिडी के तहत सोलर पंप दिए जाते हैं, जिसमें किसान को केवल 25% राशि ही खुद खर्च करनी होती है।
30,000 से अधिक आवेदन
अब तक इस योजना के तहत 30,000 से अधिक आवेदन आ चुके हैं।
हरियाणा सरकार के पोर्टल (https://pmkusumharyana.gov.in) के माध्यम से ही आवेदन लिए जा रहे हैं।
इन आवेदनों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पानी की कमी वाले जिलों से देखने को मिल रही है।
सावधान रहें किसान!
न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार:
कई किसानों से अतिरिक्त पैसा वसूल कर उन्हें झूठी रसीदें दी जा रही हैं।
कुछ जगहों पर बिना जानकारी के गलत कंपनियों से जुड़वा दिया जा रहा है।
किसानों को खुद पोर्टल पर जाकर आवेदन करना चाहिए और किसी बिचौलिए के चक्कर में न आएं।
निष्कर्ष
पीएम कुसुम योजना एक सराहनीय कदम है लेकिन यदि इसमें भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का खेल चलता रहा, तो इसका असली लाभ किसानों तक नहीं पहुंचेगा। सरकार को जल्द से जल्द सीएससी संचालकों और कंपनियों की भूमिका की जांच करनी चाहिए और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
Pm kusum yojana में चल रहा कमीशन का खेल! सीएससी संचालकों और कंपनियों की मिलीभगत
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