Jagdeep Dhankhar News: जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया. उनके इस्तीफे की असल वजह सरकार से तनातनी थी. उनकी तीन मांगें ऐसी थीं, जिस पर उनकी सरकार से ठन गई थी.
Jagdeep Dhankhar News: 21 जुलाई को संसद मानसून सत्र का पहला दिन था. जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही को संचालित किया. शाम तक सब ठीक था. कहीं से किसी को ऐसा नहीं लगा कि रात होते ही जगदीप धनखड़ उपराराष्ट्रपति पद छोड़ देंगे. जब राष्ट्रपति भवन जाकर जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया तब तक सियासी खलबली मच चुकी थी. अब तक लोगों को समझ नहीं आ रहा कि आखिर जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की असल कहानी क्या है. दरअसल, जगदीप धनखड़ ने यूं ही उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं दिया. बल्कि इसके पीछे की कहानी बहुत लंबी है. उनके इस कदम के पीछे सरकार के साथ लंबे समय से चली आ रही तनातनी और उनकी कुछ खास मांगें थीं, जिन्हें सरकार ने ठुकरा दिया था. जी हां, उनकी कुछ ऐसी मांगें थीं, जिसके कारण ही जगदीप धनखड़ की सरकार से तलवार खींच गई और उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा.
सूत्रों की मानों तो कुल तीन मांगों ने न केवल जगदीप धनखड़ और सरकार के बीच तल्खी बढ़ाई, बल्कि उनके इस्तीफे का कारण भी बनीं. हिंदुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि जगदीप धनखड़ की सरकार से तनातनी काफी पहले से चल रही थी. वहीं, सूत्रों का कहना है कि जगदीप धनखड़ अक्सर सीनियर मंत्रियों को अपमानित किया करते थे. बैठकों में भी उनसे बहुत कठोर पेश आते थे. इससे कई मंत्री नाराज थे. शिवराज सिंह चौहान को भी उन्होंने दिसंबर में पब्लिकली अपमानित किया था. हालांकि, बाद में उन्होंने उनकी तारीफ कर डैमेज कंट्रोल किया था. बहरहाल, चलिए जानते हैं वे तीन मांगें क्या थीं, जिसके चक्कर में जगदीप धनखड़ की सरकार से तनातनी हो गई.
1. सरकारी दफ्तरों में पीएम मोदी और राष्ट्रपति के साथ उपराष्ट्रपति की भी फोटो लगे.
2. जेडी वेंस के साथ उच्चस्तरीय बैठक की चाहत
3. काफिले में मर्सिडिज बेंज को शामिल करने की चाहत
पहली मांग: जगदीप धनखड़ चाहते थे कि सभी सरकारी दफ्तरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ उनकी भी तस्वीर लगे. सूत्रों के अनुसार, जगदीप धनखड़ ने इसे बार-बार उठाया था, लेकिन सरकार ने इसे असामान्य और अनावश्यक मान कर सिरे से खारिज कर दिया. कारण कि यह परंपरा से हटकर थी. अब तक की परंपरा है कि सरकारी दफ्तरों में केवल पीएम और राष्ट्रपति की तस्वीर लगती है.
दूसरी मांग: अप्रैल महीने में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत आए थे. जेडी वेंस जब भारत आए थे, तब जगदीप धनखड़ उनके साथ एक उच्चस्तरीय बैठक का नेतृत्व करना चाहते थे. हालांकि, एक सीनियर कैबिनेट मंत्री ने उन्हें स्पष्ट किया कि जेडी वेंस अमेरिकी राष्ट्रपति का संदेश लेकर आए हैं, जो सीधे प्रधानमंत्री मोदी के लिए है, और यह प्रोटोकॉल के तहत उनकी भूमिका अलग होगी. ऐसे में इस मांग ने सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया, क्योंकि धनखड़ का आग्रह प्रोटोकॉल से टकरा रहा था.
तीसरी मांग: उनकी तीसरी मांग उनके काफिले की सभी गाड़ियों को मर्सिडीज-बेंज में अपग्रेड करने की थी. सूत्रों का कहना है कि जगदीप धनखड़ ने इस मांग को कई बार दोहराया, जिसे सरकार ने अनुचित और खर्चीला माना. इस तरह की मांगों को लेकर ही उनकी सरकार से नहीं बनी और तनाव और बढ़ गया.
कहां पूरी तरह बिगड़ गई बात?
इन मांगों तक बात उतनी बिगड़ी नहीं थी. शायद सब ठीक होने की गुंजाइश थी. मगर जगदीप धनखड़ के एक कदम ने सरकार को चौंका दिया, इसके बाद तो दोनों के बीच तलवार ही खींच गई. जी हां, इस तनातनी में विपक्ष के जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करना सरकार के लिए आखिरी तिनका साबित हुआ. सरकार इस मुद्दे पर लोकसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव लाना चाहती थी, मगर धनखड़ ने विपक्ष के नोटिस को स्वीकार कर लिया. इससे सरकार की रणनीति को झटका लगा. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कदम पर गहरी नाराजगी जताई. जिसका जिक्र खुद किरेन रिजिजू ने फोन कॉल पर किया.
राष्ट्रपति भवन और जगदीप धनखड़ का इस्तीफा
इसके बाद सोमवार की रात को क्या हुआ, पूरी दुनिया ने देखा. सोमवार की रात को जगदीप धनखड़ ने बिना पूर्व सूचना के राष्ट्रपति भवन पहुंचकर इस्तीफा सौंप दिया. उन्हें राष्ट्रपति से मिलने में 25 मिनट तक इतंजार करना पड़ा. तब जाकर उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात की और इस्तीफा सौंपा. सूत्रों का कहना है कि जगदीप धनखड़ को उम्मीद थी कि सरकार उन्हें मनाएगी मगर ऐसा कोई प्रयास नहीं हुआ. कांग्रेस इस मसले को लेकर सरकार पर हमलावर है. वह शुरू से इस इस इस्तीफे को संदेह की नजरों से देख रही है.
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