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अभी आंदोलन से दूर रहेगा संयुक्त किसान मोर्चा:प्रेम भंगू बोले-जनवरी में राष्ट्रपति से करेंगे मुलाकात, डल्लेवाल ने किसानों को एकजुट होने दिया संदेश

Karni KHaryana :-

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) शंभू-खनौरी बॉर्डर के आंदोलन में अभी शामिल नहीं होगा। किसान नेताओं की चंडीगढ़ में पौने 4 घंटे तक चली मीटिंग यह फैसला हुआ है। किसान नेताओं का कहना है कि हमारी तरफ से एकता के लिए लगातार प्रयास जारी है। किसानों का कहना है कि हमें अभी एक फोरम से ही चिट्‌ठी मिली है। किसान नेता प्रेम सिंह भंगू ने कहा कि हम जनवरी के पहले हफ्ते इसी मुद्दे को लेकर देश के राष्ट्रपति या कृषि मंत्री से मुलाकात की जाएगी। आगे भी इस मुद्दे को लेकर मीटिंग की जाएगी। वहीं, उन्होंने पंजाब और केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये की निंदा की है।

वहीं, डल्लेवाल को आज 4 दिनों बाद खनौरी बॉर्डर पर चल रहे मोर्चे में शीशे के केबिन में लाया गया। उन्होंने सभी राज्यों को एकजुट होने का संदेश दिया। इससे पहले किसान आंदोलन को लेकर पंजाब सीएम भगवंत मान का भी बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा केंद्र को जिद छोड़कर किसानों से बात करनी चाहिए। कबूतर के आंखे बंद करने बिल्ली नहीं भागती है।


सीएम ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा है कि केंद्र सरकार को अपनी पुरानी जिद छोड़कर किसान संगठनों से बातचीत का रास्ता खोलना चाहिए। कबूतर की आंखें बंद करने बिल्ली नहीं भागती है। उन्होंने कहा कि पता नहीं केंद्र सरकार कौन सी तपस्या कर रही है।

अगर मोदी जी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रुकवा सकते हैं तो क्या वे 200 किलोमीटर दूर बैठे किसानों से बात नहीं कर सकते? आप किस समय का इंतजार कर रहे हैं? इससे पहले भी एक बार लुधियाना में नगर निगम चुनाव में उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की थी कि केंद्र को किसानों से बातचीत करनी चाहिए।

वहीं, बीजेपी नेता हरजीत सिंह गरेवाल का कहना है कि मुलाकात तो सीएम भगवंत मान ने करवानी है, वह पहल करे।

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चार दिनों के बाद आज किसान नेता डल्लेवाल को स्टेज पर लेकर आए हैं। इस पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि साथियों मोर्चे का सहयोग करने वालों को दिल से धन्यवाद है । मैं आप सबको बताना चाहता हूं कि मैं ठीक हूं। ऐसी कोई कोई बात नहीं है। इस लड़ाई को जीतना है। यह लड़ाई तभी जीती जाएगी, जब पूरा देश इस लड़ाई को एक होकर लड़ेगा। बहुत सारे जब 2021 में आंदोलन खत्म किया था, तो उसमें राज्यों का कहना था कि आप आंदोलन को अधूरा छोड़कर छोड़कर जा रहे हैं। अब बड़ा भाई फिर से मैदान है। छोटे भाई दूसरे राज्यों की जिम्मेदारी बनती है कि इस लड़ाई को मजबूती से लड़े। यह सरकार हमें किसी भी कीमत पर न उठा पाए। सरकार नहीं उठा पाई तो जीतेंगे, नहीं तो मरेंगे। एक काम तो करेंगे।

दूसरी तरफ खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के मरणव्रत को 29 दिन हो गए हैं। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। आज मंगलवार शाम साढ़े 4 बजे उनके अनशन के समर्थन में पंजाब को छोड़कर पूरे देश में कैंडल मार्च निकाला जाएगा। किसान फसलों की खरीद पर MSP की गारंटी का कानून मांग रहे हैं। ठंड-बारिश के बीच भी वह हरियाणा-पंजाब को जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं।

SKM गैर राजनीतिक के नेता सरवण सिंह पंधेर ने 30 दिसंबर को ​पंजाब बंद का ऐलान किया हुआ है। इसे लेकर 26 दिसंबर को खनौरी में सभी ट्रेड यूनियन, सामाजिक संगठनों, धार्मिक संगठनों, टैक्सी यूनियनों की मीटिंग बुलाई गई है। किसान नेताओं ने बताया है कि 30 दिसंबर को पंजाब बंद के दौरान मेडिकल और इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर सभी चीजें सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक बंद रहेंगी।

सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की तरफ से डल्लेवाल की पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट पर बवाल हो गया है। पंजाबी मूल के अमेरिकी डॉक्टर स्वैमान सिंह ने रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उनसे जुड़ी डॉक्टरों की टीम ही डल्लेवाल की देखरेख कर रही है।

डल्लेवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 17, 18 और 19 दिसंबर को सुनवाई हुई। पहले दिन की सुनवाई में पंजाब सरकार ने कहा था कि डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनसे भावनाएं जुड़ी हुई हैं। राज्य को कुछ करना चाहिए।

अगले दिन 18 दिसंबर को पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल की तबीयत ठीक है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि 70 साल का आदमी 24 दिन से भूख हड़ताल पर है। कौन डॉक्टर है, जो बिना किसी टेस्ट के डल्लेवाल को सही बता रहा है? आप कैसे कह सकते हैं डल्लेवाल ठीक हैं?

वहीं, तीसरे दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल की हालत रोज बिगड़ रही है। पंजाब सरकार उन्हें अस्पताल में शिफ्ट में क्यों नहीं कराती? यह उन्हीं की जिम्मेदारी है। डल्लेवाल के स्वास्थ्य की स्थिर स्थिति सुनिश्चित करना पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है।

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