हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना लगाए बैठे पंजाब के किसानों को अब हरियाणा के किसानों का भी साथ मिल सकता है। आज हरियाणा के किसान नेता भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात करेंगे।
इससे पहले हरियाणा सरकार ने प्रदेश के किसानों को इस साल फरवरी में शुरू हुए किसान आंदोलन का हिस्सा नहीं बनने दिया। बता दें कि भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत पर बैठे हैं। उन्हें आज 20वां दिन है।
चढ़ूनी आज उनका ही हालचाल लेंगे। शनिवार को खनौरी बॉर्डर पर बिस्तर पर लेटे और हाथ में माइक थाम डल्लेवाल ने कहा है कि सरकार की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या कर रहे किसानों का जीवन मेरी जिंदगी से ज्यादा मूल्यवान है।
2 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार को निर्देश दिया था कि वे तुरंत डल्लेवाल से मिलें, उन्हें चिकित्सा सहायता दें और उन्हें भूख हड़ताल समाप्त करने के लिए राजी करें। कोर्ट ने उनकी जिंदगी को कीमती बताते हुए कहा था कि उनके जीवन को बचाना जरूरी है।
डल्लेवाल कैंसर से पीड़ित हैं और 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार किसानों की मांगों को माने, जिसमें फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी शामिल है।
वहीं, दूसरी तरफ किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा है कि 16 दिसंबर को पंजाब को छोड़कर पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकाले जाएंगे। 18 दिसंबर को पंजाब में 12 बजे से 3 बजे तक रेल रोको अभियान चलाया जाएगा। 18 दिसंबर तक कोई जत्था दिल्ली कूच नहीं करेगा।
डल्लेवाल की सेहत में लगातार गिरावट आ रही है। बीते दिन भी डॉक्टर्स ने उनकी सेहत की जांच की। उन्होंने चिंता जाहिर की है कि जगजीत डल्लेवाल की सेहत काफी नाजुक बनी हुई है। आलम यह है कि उन्हें कभी भी हार्ट अटैक आ सकता है। इतना ही नहीं, बीते 20 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत पर बैठे डल्लेवाल कैंसर जैसी भयानक बीमारी से भी पीड़ित हैं, लेकिन फिर भी वो कोई दवाई नहीं ले रहे हैं।
डाल्लेवाल ने कहा- सुप्रीम कोर्ट कहता है कि मेरी जिंदगी इस आंदोलन से ज्यादा कीमती है, लेकिन मैं मानता हूं कि उन किसानों की जिंदगी, जो सरकार की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या कर रहे हैं, मेरी जिंदगी से ज्यादा मूल्यवान है।
उन्होंने दावा किया कि अब तक देश में सात लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। आत्महत्याओं को रोकने का एकमात्र तरीका यह है कि केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार MSP की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करे और किसानों का कर्ज माफ करे।
हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर से शनिवार को दोपहर 12 बजे 101 किसान दिल्ली के लिए रवाना हुए, लेकिन पुलिस ने उन्हें घग्गर नदी पर बने पुल पर की बैरिकेडिंग पर रोक लिया। 40 मिनट तक पुलिस से बहस के बाद किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया, जिसमें 10 किसान घायल हुए।
करीब 2 घंटे बाद यानी 2 बजे दिल्ली मार्च को टालते हुए किसानों के जत्थे को वापस बुला लिया गया। किसानों का आरोप है कि पुलिस ने रॉकेट लॉन्चर से बम-गोलियां चलाई। घग्गर नदी का गंदा और केमिकल वाला पानी प्रयोग किया।
शनिवार को शंभू बॉर्डर पर एक किसान ने आत्महत्या का प्रयास भी किया था। किसान नेता तेजवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया था कि लुधियाना के खन्ना के किसान ने सल्फास निगल लिया। उसकी पहचान जोध सिंह के तौर पर हुई। गंभीर हालत के चलते उसे पहले पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे पटियाला के राजेंद्र अस्पताल रेफर कर दिया गया।
पंजाब के किसानों को मिल सकता है हरियाणा का साथ:चढ़ूनी आज खनौरी बॉर्डर पहुंचेंगे
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