यमुना पर पुराने लोहे के पुल के समानांतर निर्माणाधीन नए पुल पर पटरियां बिछाने का काम अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि एक महीने में इस पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी।
पुरानी दिल्ली-गाजियाबाद को जोड़ने वाले इस पुल के खुलने से इस सेक्शन पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि यमुना में हर साल आने वाली बाढ़ रेलवे यातायात की राह में बाधा नहीं बनेगी। नए पुल पर ट्रेनों के चलने से 150 साल पुराना लोहे का पुल इतिहास बन जाएगा। हालांकि, पुल के नीचे से यातायात की आवाजाही जारी रहेगी।
दरअसल, रेलवे ने कई बाधाओं को पार करते हुए इस पुल का निर्माण पूरा करने में सफलता हासिल की है। पुराने पुल के समानांतर नया पुल बनाने की योजना 1998 में तैयार की गई थी।
इसका निर्माण कार्य वर्ष 2003 में शुरू हुआ था। उस समय लागत करीब 137 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन बाधाओं के कारण निर्माण कार्य बीच-बीच में रुकता रहा। शुरुआती चरण में ही लाल किले के बगल में सलीमगढ़ किला इसमें बाधा बन गया था।
दिल्ली में आसानी से होगी यमुना पार! ये पुल बनाकर हुआ तैयार
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