जूनियर्स को प्रमोट किया; कोर्ट ने कहा-ये गलत, सरकार बोली-आपराधिक केस चल रहा
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने लगभग तीन दशक पहले एक रेवेन्यू ऑफिसर को उसकी स्पष्ट योग्यता के बावजूद पदोन्नति न देने के लिए “प्रशासनिक उदासीनता और प्रक्रियागत अनुचितता के परेशान करने वाले पैटर्न” के लिए हरियाणा सरकार को फटकार लगाई है।
यह मानते हुए कि अधिकारी को "कानूनगो के पद पर उस समय अनुचित रूप से पदोन्नति से वंचित किया गया था, जब उसके कनिष्ठों को 24 अप्रैल, 1995 को पदोन्नत किया गया था। जस्टिस संदीप मौदगिल ने निर्देश दिए कि उस तिथि से कानूनगो के पद पर पदोन्नत माना जाए, साथ ही वरिष्ठता, बकाया और पेंशन संबंधी अधिकारों के परिणामी लाभ भी दिए जाएं।
यह आदेश 1996 में दायर एक याचिका पर आया, जिसमें याचिकाकर्ता की योग्यता और संतोषजनक रिकॉर्ड के बावजूद पदोन्नति रोकने के राज्य के फैसले को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि लाभ प्रदान करने की पूरी प्रक्रिया तीन महीने के भीतर पूरी की जाए।
हरियाणा सरकार को प्रमोशन मामले में हाईकोर्ट की फटकार
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