अनिल विज श्रम मंत्री की अध्यक्षता में दिनांक 21.04.2025 को सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की मीटिंग के दौरान यह मामला सामने आया.
मजदूरों की 90 दिनों की वर्क स्लिप का जो सत्यापन किया गया उसमें अगस्त 2023 से मार्च 2025 के बीच 1196759 मजदुरों की वर्क स्लिप का सत्यापन किया गया। इस अवधि के दौरान जिला हिसार के दौरान 145582 वर्क स्लिप सत्यापित की गई ।
ग्राम सचिव राजेन्द्र सिंह के द्वारा अकेले 84741 आवेदनों को इन 3 मास में सत्यापित किया गया। इसी ग्राम सचिव द्वारा 2646 वर्क स्लिप एक दिन में सत्यापित की गई है। श्रम निरिक्षक फरीदाबाद द्वारा 2702 वर्क स्लिप सत्यापित की गई है ।
जोकि मुमकिन प्रतीत नही होता है ऐसा लगता है कि इसमें ज्यादातर वर्क स्लिप का सत्यापन फर्जी प्रतीत होता है और इसमें भ्रष्टाचार होने की सभावना हो सकती है।
जिसमें मध्यनजर अनिल वीज के द्वारा मिटिंग के दौरान तीन सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया गया जिनमें श्री अजमेर सिंह देसवाल, सयुक्त सचिव सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड, सुनील ढिल्लों, सदस्य व भुपिन्द्र शर्मा, सदस्य को शामिल किया गया था।
इन द्वारा 6 जिलों (हिसार, कैथल, जीन्द, सिरसा, फरीदाबाद और भिवानी)की 03 मास (01 नवंबर 2024 से 31 जनवरी 2025)के दौरान सत्यापित की गई वर्क स्लिपों की जांच की गई जिसमें काफी अनियमितयाएं पाई गई।
जैसे कि । इस रिपोर्ट के अवलोकन से प्रतीत होता है कि इनमें से ज्यादातर वर्क स्लिप फर्जी कमागारों की बनाई गई है। और ये रजिस्टर्ड वर्कर विभाग की विभिन्न स्कीमों का लाभ भी उठा रहे है। जिससे विभाग को कई सौ करोड रूपये की वित्तिय हानि हुई है।
श्रम मंत्री अनिल विज ने जांच रिपोर्ट के अनुसार अनियमितता एंव गैर कानूनी कृत्य हेतु जिम्मेदार सभी अधिकारी व कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने के आदेश दिए और संबंधित विभाग के सक्षम प्राधिकारी को निर्देशित किया इनके विरूद्ध आपराधिक अभियोजन की प्रक्रिया शुरू करने के आशय से महाधिवक्ता की राय प्राप्त करते हुए अपराधिक कार्यवाही की जाये।
चूंकि श्रम विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण वर्क‑स्लिप की जांच करने हेतु, प्रदेश के सभी उपायुक्तों को तीन सदस्यी समिति गठित करने हेतु निर्देशित किया जाये, जिसमें श्रम विभाग का प्रतिनिधि व दो अन्य राजपत्रित नामित स्वतंत्र सदस्य हों। यह समिति राज्य के प्रत्येक गांव/शहर मेे भौतिक सत्यापन करके पंजीकरण प्रक्रिया व कार्य रसीद सत्यापन हेतु अपनाए गए मापदंडों को जांचने का कार्य करेगी। कथित समिति जांच रिपोर्ट 03 माह में प्रस्तुत करेगी।
इसके अतिरिक्त जाँच पूरी होने तक समस्त प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (क्ठज्) भुगतान न किया जाए ।
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