अपराधिक न्याय में ऐतिहासिक तेजी:
हरियाणा बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में दोषियों को मात्र छह महीनों में सजा दिलाने वाला अग्रणी राज्य बन गया है।
अब तक 140 से अधिक दोषियों को आजीवन कारावास और अन्य कठोर सजाएँ सुनाई गईं।
2. आधुनिक तकनीकों का प्रभावी उपयोग:
अपराध की जांच से लेकर ट्रायल तक हर चरण में डिजिटल तकनीक अपनाई जा रही है।
समन, ई-साक्ष्य और अन्य दस्तावेज अब इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजे और स्वीकार किए जा रहे हैं।
3. पुलिस कर्मियों का व्यापक प्रशिक्षण:
अब तक 54,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को आधुनिक कानूनों, तकनीकों और एप्स का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
'न्याय तक त्वरित पहुंच' कार्यक्रम के तहत हर कर्मी को सक्षम बनाया जा रहा है।
4. गवाहों की जांच में तकनीकी क्रांति:
गवाहों के बयान अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज किए जा रहे हैं।
इससे गवाहों को डर और दबाव से मुक्त वातावरण मिला है।
5. पोस्टमार्टम और एमएलआर में डिजिटल बदलाव:
पोस्टमार्टम और मेडिकल लीगल रिपोर्ट (MLR) अब सात दिन के भीतर डिजिटल रूप में दर्ज और उपलब्ध कराई जा रही हैं।
वीडियो रिकॉर्डिंग और डिजिटल प्रमाणों का इस्तेमाल बढ़ा है।
6. फोरेंसिक और वैज्ञानिक साक्ष्यों का विस्तार:
फोरेंसिक साइंस, डिजिटल फिंगरप्रिंट सिस्टम और NCRB डेटा का व्यापक उपयोग हो रहा है।
केस सुलझाने में तकनीकी दक्षता बढ़ी है।
7. नारी सुरक्षा और अपराध नियंत्रण:
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर सख्त कार्रवाई के साथ हर जिले में महिला सुरक्षा प्रकोष्ठ स्थापित।
विशेष अभियानों के जरिए महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
8. डिजिटल पुलिसिंग में ऐतिहासिक छलांग:
हरियाणा पुलिस ने ई-समन और ई-साक्ष्य को लागू कर 91.37% समन इलेक्ट्रॉनिक रूप से जारी किए।
डिजिटल एफआईआर और ई-मोबाइल पोस्टमार्टम रिपोर्टिंग की शुरुआत।
9. टेक्नोलॉजी के जरिए त्वरित न्याय:
मोबाइल फॉरेंसिक वैन, साइबर क्राइम टेक्नोलॉजी और NAFIS सिस्टम का प्रभावी उपयोग।
अपराध नियंत्रण के साथ-साथ सरकारी खर्च में भी उल्लेखनीय बचत।
10. राज्य सरकार की अटूट प्रतिबद्धता:
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हरियाणा सरकार कानून व्यवस्था को सुदृढ़ और पारदर्शी बनाने के लिए लगातार कार्य कर रही है।
तकनीक और नवाचार के साथ त्वरित व सुलभ न्याय सुनिश्चित किया जा रहा है।
म्हारा हरियाणा: आपराधिक न्याय सुधार में देश का अग्रणी राज्य
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