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राजनीति

हुड्डा परिवार ने कांग्रेस को फिर दिया दगा!

Raman Deep Kharyana :-

आर्यन के परिवार के साथ निभाई अपनी करीबियां

अजय दीप लाठर


हरियाणा कांग्रेस के स्वयंभू मालिक समझे जाने वाले राजनीतिक परिवार ने एक बार फिर कांग्रेस हाईकमान को बड़ा झटका दे दिया। इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में एनएसयूआई के प्रधान पद की उम्मीदवार जोसलीन की हार की वजह इसी परिवार को माना जा रहा है। आम चर्चा है कि शराब कारोबारी मित्र दलबीर मान के परिवार के साथ रिश्ते निभाने के लिए यह सब व्यूहरचना रची गई। ध्यान रहे दलबीर मान के भाई सिकंदर के बेटे आर्यन मान ने एबीवीपी प्रत्याशी के तौर पर प्रधान पद पर जीत हासिल की है।


पूर्व मुख्यमंत्री एवं किलोई से कांग्रेस विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा खुद को अक्सर युवा नेता के तौर पर पेश करते रहे हैं। डूसू चुनाव में हर साल एनएसयूआई प्रत्याशियों के पक्ष में सघन प्रचार-प्रसार वे करते रहे हैं। लेकिन, इस बार रस्म अदायगी ही निभाई। कारण साफ था, आर्यन मान। इनके परिवार के साथ हुड्डा परिवार की नजदीकियां जगजाहिर हैं। दलबीर मान ने हुड्डा सरकार के दौरान ही खुद को स्थापित किया था, वरना उससे पहले वे किस तरह से दिल्ली में शराब सप्लाई करते थे, यह बात किसी से भी छिपी हुई नहीं है। उनके ब्रांड रॉयल ग्रीन को पंजाब में किसने अप्रूव (लेबल पास) कराया, राजनीतिक गलियारों में सब जानते ही हैं। उस समय चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री थे और बाकायदा दीपेंद्र हुड्डा उनके पास गए थे, रुक कर भी आए थे। ऐसे में आम चर्चा है कि मान की शराब फैक्टरी में इनका भी हिस्सा है, मोटी पूंजी इन्वेस्ट होने के कारण साइलेंट पार्टनर बताए जाते हैं।


पहली बात तो यही है कि इनकी जानकारी और सहमति के बिना दलबीर मान ने अपने भतीजे को चुनाव लड़वाने का फैसला ही नहीं लिया होगा। बाकायदा भाजपा में हुड्डा परिवार की मदद से एबीवीपी की टिकट भी हथियाई। जब इन सभी में सहमति रही तो फिर दीपेंद्र हुड्डा का इस बार डूसू चुनाव में जाना बनता ही नहीं था। ऐसे में इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि अंदरखाने एनएसयूआई प्रत्याशी की बजाए एबीवीपी के आर्यन मान की मदद का आह्वान किया गया। सोनीपत, रोहतक, झज्जर, फरीदाबाद के कई छात्र नाम न लिखने की शर्त पर इसकी पुष्टि भी करते हैं। जबकि, एनएसयूआई प्रत्याशी सीधे तौर पर राहुल गांधी और कांग्रेस हाईकमान की पसन्द की थी।


ध्यान रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा फिलहाल केवल विधायक हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक चंडीगढ़ में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मिली कोठी को खाली नहीं किया है। ऐसे में उनके भाजपा के साथ किस तरह के सम्बंध हैं, अंदाजा लगाया जा सकता है। 


अजय दीप लाठर, लेखक वरिष्ठ पत्रकार

हुड्डा परिवार ने कांग्रेस को फिर दिया दगा!

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