हरियाणा में पति की नसबंदी होने के बावजूद पत्नी गर्भवती होने के मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार की अपील मंजूर करते हुए 1 लाख के मुआवजे के ट्रायल कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है। इस केस में याचिका लगाते हुए सरकार ने बताया कि आबादी को कम करने के लिए सरकार ने 1986 में नसबंदी की मुहिम चलाई थी। इसके तहत नसबंदी करवाने वालों को प्रोत्साहन राशि दी जाती थी। जिसमें कुरुक्षेत्र जिले के रहने वाले राम सिह ने भी नसबंदी कराई थी। जिसमें उसे डॉक्टर द्वारा सलाह दी गई थी कि वह 3 महीने तक पत्नि से संबंध ना बनाएं। अगर बनाता है तो इसके बाद भी गर्भनिरोधक साधनों का इस्तेमाल करें व 3 महीने बाद शुक्राणुओं की जांच कराएं।
वहीं राम सिंह ने बताया कि नसबंदी के 2 साल बाद उसकी पत्नी गर्भवती हो गई। यह उनकी 5वीं संतान और चौथी बेटी थी। राम सिंह ने कहा कि वह बच्चा नहीं चाहते थे। इसके बावजूद ऑपरेशन में लापरवाही के चलते उसकी पत्नी गर्भवती हुई है। राम सिंह ने इसके लिए केस किया और ट्रायल कोर्ट ने 1 लाख रुपए मुआवजा तय किया।
पति की नसबंदी के बाद पत्नी हुई गर्भवती, सरकार से मांगा मुआवजा
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